कुंती ने भगवान श्री कृष्ण से वरदान में हमेसा दुख में राहु ऐसा वरदान क्यों मांगा था


कुंती ने भगवान श्री कृष्ण से वरदान में हमेसा दुख में राहु ऐसा वरदान क्यों मांगा था  

              भगवान श्री कृष्ण रथा पर विराजमान होकर द्वारिका की और जा रहे थे।  तभी पांडवो ने प्रणाम किया भगवान ने कहा पांडवो को की भैया अब हम जा ही रहे है तो  हमारा मन है की हम  कुछ दे के जय तो मांगना है तो अभी।  पहली बरी महाजर युधिस्ठीर।  बोलिया महाराज क्या चाहिए।  महाराज ने मांगा की प्रभु मेरी धर्म में रूचि बानी रहे कभी मेरा धयान धर्म से न हटे बस ऐसी कृपा करो प्रभु बस।  भगवन ने कहा तथा अस्तु। उत्तरा ने भी मदत मागि ौंकि भी रक्षा की।  द्रोपती ने दसया भाव मांगा ौंपे कृपा की।  अर्जुन ने सक्या भक्ति मागि ौंकि कृपा की।  भीम दादा ने भजन मांगा ौंकि भी मनो कामना पूरी की।  


अब भरी आए पीछे कड़ी ौंकि बुवा कुंती की।  भगवान ने कहा अरे बुवा आप कहा पीछे कड़ी हो। आप भी कुछ मांग लो। अब बुवा कुंती आगे आए।  कृष्ण जा रहे बुवा को छोड़ के इसलिए कुंती की आखो से आसु रुकने का नाम नही ले रहे है।  कृष्ण ने कहा बुवा तू क्यों रो रही है बस दवारिका हे तो जा रहा हु तू जब बुलाये गई तब आजाऊ गा।  बुवा कुंती ने कहा की हे कृष्ण आज मे  तुजे  पहचान गए।  बुवा ने कहा में तुम्हे पहचान गए कृष्ण ने कहा क्या पहचान गए तुम मेरी बुवा हो मै तुम्हारा भतीजा हु ये पहचान गए। 




 बोले नही नही ये तो रिस्ता है जो अपने बना रखा है की तुम मेरे बुवा हो मैं तुम्हारा ये हु।  मै  पहचान गए की आप साक्षात मेरे प्रभु हो  साक्षात  हरी हो इसलिए प्रभु मांग  भी वैसी होनी चाहिए । जब भगवान कहा रहे है मगो तो माग कोई चोट नहे होने चाहिए। अब श्री कृष्ण जी कहते है बुवा जो मगना है माग को आज आप ब्रह्मा का पद भी मागो गी तो भी दे देंगे मागों जो मगना है मागों। लो अब इस्सेबड़ा क्या चाहिए।हम तो सोच ही रहे है कि कब बुवा मागे आज तक कुछ नही मागा पूरा युद्ध चालगाय लेकिन तक ये भी नही कहा कि कृष्ण मेरे बलाकोका विजय हो ।कभी नही मागा बुवा आज जो दिल करे माग लो। तब बुवकुंटी ने कृष्ण से मागा है कृष्ण है माधव अगर देना है चाहते हो तो मेरे जीवान म हमेशा हमेशा की लिए दुख दे दो । विपतिया दे दो खूब दुख दे दो और प्रभु मै तो ये कहती हूं एक दुख कताम ना हो दूसरा दुख सूरू हो जाए इतना दुख दे दो।भगवान ने कहा अरे अरे बुवा ये क्या माग रहे है ये क्या बोल गए तू कहीं ऎसा तो नही की तू शुख माग रहे हो और जल्दी जलदी मै मुंहासे दुःख निकाल गया हो।



बुवा कहती है नही नही प्रभु पूरे होस और हवास मे हूं और मै आप से  दुःख ही मांग रही हूं। पर दुःख को लेकर करेगी क्या। पर दुख का लेकर करेगी क्या बुआ कुंती कहती है प्रभु नाम दुख है बस असल में तो मैंने आपसे सुख मांगा है। ऊपर से ढांचा विपत्ति का है पर मैंने आपसे सुख मांगा है। भगवान कह रहे हैं की बुआ आपको जीवन में दुख के अलावा और मिला ही क्या है जो आप फिर से दुख मांगना चाहती हो बताइए क्या मिला आपको जीवन में दुख के अलावा बस अब सुख मिला ही है आपके पुत्रों ने युद्ध जीता है अब आपके सुख के दिन शुरू ही हुए हैं और आप दुख मांग रही हो। बुआ कुंती ने कहा प्रभु आपके प्रश्नों में ही मेरा उत्तर छुपा हुआ है। कृष्ण भगवान ने पूछा कैसे । आज तक मेरे जीवन में दुख था इसलिए आप साथ थे अब जैसे सुख आया आप तुरंत रथ लेकर द्वारिका जाने लगे ऐसे सुख का मैं क्या करूं जो मुझे आपसे दूर करता हूं कम से कम दुख में आप साथ तो थे दुःख दो । मैं जब भी दुख में रहूंगी हमेशा आपको याद करती रहूंगी आदमी दुख में यह भगवान को याद करता है सुख में तो लोग भगवान को भूल ही जाते हैं इसलिए हे प्रभु हे श्री कृष्ण मुझे वरदान दो कि मैं हमेशा दुख में ही रहूं और सदाय आपको याद करती रहूं

Comments

Unknown said…
Superb explanation

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