जानिए कोण थे राजा भरत और क्यों उनहोने अपने पुत्र को राजा नही बनाया

जानिए कोण थे राजा भरत और क्यों उनहोने अपने पुत्र को राजा नही बनाया महाभारत की कहानी तब नही सुरु हुई थी जब द्रोपदी ने धुर्योधन को अँधा कहा था। यहाँ कहानी इन घटना से बहुत पहला दूसयंत और सकुंतला के पुत्र चक्रवर्ती महाराज भारत की विजय यात्रा से लौटने पर हस्तिनापुर से सुरु होती है। अब बरी अति है की राजा भारत किसे को राज का युवराज बना दे। राजा भारत ने कहा महामंत्री युवराज की घोसना चन्द्रवंशियो की पूर्णिमा समारोह में की जाये गई। अब राजा एक ऋषि की पास जाते है और ौंसे पूछ ते है की हे ऋषि में तो नौ पुत्रो का पिता हु परन्तु युवराज किसे बनाओ ऋषिवर। ये सुनते ही ऋषि कहते है मतलब ये है की पूरी दुनिया जितने वाला अपने आप पर हे विजय नही प् सका है। और आगे ऋषि कहते है की अगर आप अपने आप पर विजय नही प् सकते तो न्याय नही कर पाऊ गए। इस लिए जाऊ और स्वयं पर विजय पाउ। हस्तिना पुर चन्द्रवंशियो प्रभाव से जगमगा रहा है. और आज राजभवन में इतिहास स्वयं सांस रूके खड़ा है और इस क्षण की प्रतीक्षा कर रहा है जब आज हस्तिनापुर उ...